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परमात्मा सद्बुद्धि देने वालों को भेजता है

यह तो निश्चित हो चुका कि इंटरनेट पर कन्ही भी कुछ भी लिखना छिपा हुआ नहीं रहता है। इसकी मॉनिटरिंग होती है। जैसे परमात्मा रिकॉर्ड करता है। फिर उसके सनातन नियमों के अनुसार घटनाएं घटित होती जाती हैं। उससे कोई भी अपना बचाव नहीं कर सकता। इतिहास गवाह है। परमेश्वर बहुत दयालु है। वह जानता है कि मानव अबोध है। इसलिए हर बार सदबुद्धि देने वालों को भेजता रहा है। श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध, महावीर, सुकरात, अरस्तू, प्लेटो, ईसा, मोहम्द, शंकराचार्य, रामदास, कबीर, नानक, मीरां, तुलसी, रहीम, रैदास, प्रभुपाद, कवि गंग, आदि अनेक आए और अभी भी बहुत सारी आत्माएं सक्रिय हैं। उनमें विशेष उल्लेखनीय महात्मा गांधी जिन्होंने सबका निचोड़ प्रस्तुत किया "सत्य, अहिंसा और प्रेम" ब्रह्ममय होकर जीने की राह बताई। लेकिन किसीने अनुसरण नहीं किया। सत्ता चलाने की व्यवस्था पर भी कई दर्शानिको ने अपनी अपनी समझ से समाज से राज्य व्यवस्था कैसे आई? उसकी एक परिणीति प्रजातंत्र के रूप में हुई उसका आधार स्वतंत्रता (से), समानता (अहिंसा) और भाईचारा (प्रेम) तथा जनमत (जनहित के लिये निर्णय) समूह या एक व्यक्ति के निर्णय को मानना।
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बंधन ही गुलामी है

Spritual devlopment is the target of my blogs. जीवन में बहुत कुछ होता है। बहुत सारा ज्ञान, जानकारियां हम तक पहुंचती हैं लेकिन हम उसे स्वीकार नहीं करते क्योंकि वह क्रम से है। क्योंकि हम क्रम में बंधे हैं। जब क्रम से बंधे है तो स्वतंत्रता छिन जाती है। यानि मुक्त नहीं रह पाते तो जब जीते जी मुक्त नहीं हुए तो मरने के बाद मुक्ति कैसे मिलेगी। फिर चौरासी लाख योनियों का चक्र चल पड़ता है। जो जन्म से मुक्त हैं यानि गुलाम ही नहीं हैं। लेकिन हम पर बचपन से जो कुछ क्रमबद्धता थोपी जाती है तो वह हमारी आदत में शुमार हो जाता है क्योंकि माता-पिता जिस खूंटे से बंधे थे उसीसे हमें भी बांध देते है तो हम पीढ़ियों से बंदिशों के अभ्यस्त होते जाते हैं यानि गुलाम होते जाते हैं। फिर गुलामी ही हमारा आदर्श बन जाती है और मुक्त जीवन यानि जिससे हम सब जिस परा शक्ति से स्वाभाविक तौर से जुड़ कर संसार में आए हैं उससे छूट कर अलग हो जाते हैं। क्रमबद्ध जीवन जीने लगते हैं। ऐसा मानवता के इतिहास में हुआ है इस क्रम में परिवर्तन करने वाले समाज में आते गए और नया क्रम पकड़ा गए जिन्होंने हमें आध्यात्म से यानि उस परा शक्ति से जुड़ने की

एक सच

Spritual devlopment is the target of my blogs. एक सच जो हमेशा जिंदा रहा है। उसके खिलाफ जंग हमेशा रह एक सच जो हमेशा जिंदा रहा है। उसके खिलाफ जंग हमेशा रही है। जीवन - मरण यश - अपयश हानि - लाभ यह है विधि के हाथ। विधि के खिलाफ जंग जब से मानवता वजूद में आई है तब से जारी है। तीन मुख्य जरूतें है प्राणी की रही है। जिनकी पूर्ति स्वत: ही होती रही है। 1. भोजन यानि अपने को जिंदा रखने के खातिर प्रकृति प्रदत्त भोजन सामग्री का उपभोग करो जिसमे एक छूट भी है "जीवं जीवस्य भोजनमं" मांसाहारी, शाकाहारी जीव हुए।  2. कपड़ा यानि प्रकृति प्रदत्त आवरण जैसे पक्षियों को पंख, पशुओं को खाल और बाल दिए है लेकिन मानव बिना आवरण रह गया जिसको एक चिप यानि सोचने की शक्ति दी जिससे तन ढकने का साधन बनाया पशु पक्षियों की खाल, बाल ओर पंखों का उपयोग करता हुआ कपड़ों तक पहुंच गया। 3. निवास स्थान जो आदिकाल से अब तक पक्षियों को घोंसले, गुफाएं, बिल खोदने तक की अक्ल दी और मानव भी गुफाओं से झोंपड़ों, घर, इमारतों, कोठियों और महलों तक पहुंच गया। मानव की इन तीन की भूख तीव्र होते होते इतनी तीव्र हो गई है कि अब प्रबल इच्छा है कि जि

सही सलाह बिजली का करंट है

Spritual devlopment is the target of my blogs. महात्मा गांधी से लेकर इतिहास में जितने लोग इस मानव जाति को राह दिखाने धरती पर अवतरित हुए उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार सत्तापरस्त, लोभी, लालची, अहंकारी लोगों की शह पर किए गए हैं। लेकिन उनके जाने के बाद उन्हीं लोगों ने उनकी पूजा भी करवानी शुरू की थी जबकि सच्चाई यह है ये पूजा का ढोंग भी अपने हित साधने के लिए करवाते थे। उन्होंने खुद में कोई परिवर्तन नहीं किया बल्कि लोगों को कट्टरता का भाव पैदा करके गुमराह किया और उनके भोलेपन का लाभ उठाया है। उनको उन महान आत्माओं के विचारों और भावनाओं से कोई लेना देना नहीं था और आज भी नहीं है। पहले भी बुरा व्यवहार खुद के हित के लिए किया और आज भी गुणगान खुद के हित के लिए करवाते हैं और करते है। पंडित जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक भारत में महात्मा गांधी का राष्ट्रीय महत्व था लेकिन उसके बाद गांधी को गांधी के हथियार से अन्ना हजारे से मरवाया। किसान आंदोलन ने गांधी को फिर जिंदा कर दिया। कांग्रेस और बीजेपी अब डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी होकर रह गए हैं। सत्तापरस्त लोग गांधी

No one is wrong

Spritual devlopment is the target of my blogs. I highly appreciate everyone's approach to me, I think I am not alone. People are with me. Now no-one nagetive can touch me because one well wisher is sufficient. I am doing some thing better for mankind but every one at this time is busy without work and have become mental. These people of Earth are helpless and no-one is worry about them, every action by all kind of organizations are just like drama and these organisations are misleading the mankind. The future I am seeing is so horrible. I think the whole civilization will reach to it's end at once or in parts. No one will able to help eachother because every one is busy with their own trouble. Friends will proceed to harm friends and the enemy are waiting to harm both. Enemies are thinking they are safe but it may be possible they will suffer first then others who are ready to suicide as in Mahabharat Lord Krishna's Yadava killed eachother. I highly obliged, people's fr

Come join Him

Spritual devlopment is the target of my blogs. Lord Ganesh He is lord of every living creature and every one is under control of Him. Oum (ॐ) is sign of Him. Every creature is breathing with a sound that is oum (ॐ) but no-one is concious about it. That's why every one is busy without work but working under control of Him. He have allotted the role to everyone as regards the capicity. That's why He is Lord (owner) of our "self". We have lost our "self" the identity and beating around the bush. If we speak oum (ॐ) consciously and take it in habit, I am sure we can reach to Him and realise our "self" but we are under control of others in the name of religion so that we are not following to Him. It's not religious way, it's spritual way which leads toward Him. Come join this way and try to reach near to Him which will give real joy and bliss of Him. If you can forget worldly identity, you are qualifing for this way. Unattachment is the basic st

सच्चाई से मुंह छिपाना महंगा पड़ेगा

सेवादल की टोपी सिर पर रखते ही जो रोमांच मैंने महसूस किया उसको भुलाया नहीं जा सकता और उदगार मन में उठे लेकिन प्रोग्राम में समय बहुत लग चुका था और भाई श्याम नारायण रंगा ने जो अनुशासन के लिये सेवादल के चरित्र की PM pt.Nehru का उदाहरण देकर दिया था उसकी अवहेलना करना उचित नहीं समझा। लेकिन यह सत्य जानना भी जरूरी है कि हम अनुशासित रहें लेकिन देश को गुलाम होने से बचाने के लिए कटिबद्ध होना पड़ेगा। 26 मई, 2014 से देश पर ताज होटल वाली घटना घटित होनी शुरू हो चुकी थी। देश के सारे आधार स्तंभ चाहे किसी क्षेत्र में हों, कांग्रेसी हकुमत ने अपने तीस साल में तैयार किए थे उनको ध्वस्त करके कृषिभूमि और जांगलात पर Planted PM मोदी की गिद्ध दृष्टि पड़ी और कृषि कानून पास कर दिए थे। इन काले कानूनों के विरुद्ध किसान आंदोलन छिड़ गया था और उन्होंने पूरे अनुशासन के दम पर विजय हासिल की थी यह एक मिसाल बन चुकी है। लेकिन यह भी स्थाई विजय नहीं है। अभी ओर अबखाईयां खड़ी होने वाली है राष्ट्रवाद के नाम पर कई नौटंकी की कथा मोदी ने तैयार कर रखी हैं। बीजेपी और आरएसएस वाले नौटंकी से ऊब चुके हैं। शैतानी शक्तियों का आपसी द्वंद तो ब